गुरूदेव के संस्मरण ~ भगवान शिव से साक्षात्कार
जन्म-मृत्य का खेल महाजीवन के अंतर्गत आता है। जिसकी व्यवस्था भगवान शिव के जिम्मे है। वे सदा गोविंद के सुमिरन में रहते हुए महाजीवन की व्यवस्था को बहुत ही सुंदर ढंग से संचालित कर रहे हैं। ऐसे भगवान शिव को शत-शत नमन।
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम्।।
~ परमगुरु ओशो
भगवान शिव से गुरुदेव का साक्षात्कार :- " (10 जून, 2009) मध्य रात्रि में हम सब केदारनाथ मंदिर में गए। वहां पण्ड़ितों ने मंत्र पढ़ने शुरू किये। थोड़ी ही देर बाद शिव की ऊर्जा वहां पर महसूस होने लगी। बहुत ज्यादा ऊर्जा वहां पर थी। कई मित्रों ने मुझे अपने अनुभव बताए। मैंने स्वयं महसूस किया कि बहुत ही विराट उपस्थिति थी भगवान शिव की वहां पर।दूसरे दिन हेलिकॉप्टर से लौटते समय ऐसा महसूस हो रहा था, मानो भगवान शिव साथ -साथ चल रहे हों। कैमरे ने भी केदारनाथ की पहाड़ियों पर उनकी प्रकाशमय उपस्थिति को कैद किया (चित्र देखें)।
भगवान शिव की उपस्थिति का अनुभव इसके पूर्व मैंने ऋषिकेश में 22 मार्च 2006 को आरती के समय (चित्र देखें),।
मानसरोवर में 3 जुलाई, 2007 में रात के समय तथा सोमनाथ मंदिर में 11 जनवरी, 2008 में आरती के समय किया था। मानसरोवर की हमारी यात्रा के समय हमारे एक साधक (स्वामी प्रेम) ने 6 जुलाई, 07 को रात 3 बजे भगवान शिव की उपस्थिति को अपने कैमरे में कैद किया था (मुख्य चित्र देखें)।और अब तो ये सिलसिला जारी है...।"
आश्चर्य! की बात तो ये है कि गुरूदेव ने भगवान शिव की कोई साधना नही की थी। फिर भी भगवान शिव का स्वयं दर्शन देना यह दर्शाता है कि गुरूदेव से उनका पुराना जन्मों का नाता है। गुरूदेव का आध्यात्मिक स्तर बहुत ही विशिष्ट है। इसी कारण मानवता के इतिहास में प्रथम बार भगवान शिव ने अपने असली स्वरूप को चित्र के रूप में ओशोधारा के लिए उपलब्ध कराया है। और गुरूदेव की अपार करुणा कि उन्होंने भगवान शिव के दिव्य दर्शन को अब पूरी मानवता के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है।
गुरूदेव ने ओशोधारा में अध्यात्म और संसार, गोविंद और उसकी शक्तियां, दोनों की सिनर्जी कर दी हैं। आध्यात्मिक जगत में यह प्रथम बार हो रहा है। यह सौभाग्य अतीत में कभी उपलब्ध नही था।
अतीत के सन्त सिर्फ आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान पर ही रुक जाते थे। और गोविंद की शक्तियों ( देवताओं) कि उपेक्षा कर देते थे। जिनसे उनका अध्यात्म तो सुंदर हो जाता था पर संसार सुंदर नही हो पाता था। और कुछ परंपराओं में साधक सिर्फ शक्ति की साधना में ही लगे रहते हैं। शक्ति तो प्राप्त हो जाती हैं । पर साथ ही साथ अहंकार भी मजबूत हो जाता है और मूल उद्देश्य प्रभु की यात्रा से वे भटक जाते हैं।
गुरुदेव ने हमें बताया है कि हुकमी अर्थात गोविंद और हुकुम अर्थात उसका नियम (उसके अंतर्गत कार्य करने वाली देवताओं के रूप में उसकी शक्तियां) दोनों को एक साथ साधा जा सकता है। हुकुमी अर्थात गोविंद से प्रेम कर अपने अध्यात्म को सुंदर बनाओ और हुकुम अर्थात देवताओं से सहयोग लेकर अपने संसार को सुंदर बनाओ।
गुरुदेव एक गजब बात कहते हैं, कि किसी से सहयोग न लेना भी अहंकार है। गोविंद की व्यवस्था में जो देवी देवता हैं वे सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार हैं।
एक उदाहरण से समझ सकते हैं आज भारत के सम्बंध विदेशी मुल्कों से अच्छे होते जा रहें है क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री सतत उनसे सहयोग मांग रहे है। और वे सभी देने को तैयार हैं। जो भारत के विकास में महवपूर्ण होने वाला है।
गुरुदेव एक राज की बात और बताते हैं, कि सीधे देवताओं की साधना करोगे भटकोगे, और उनका सहयोग भी नही मिलेगा। पर अगर गोविंद से प्रेम हो जाए, और फिर तुम गोविंद के सुमिरन के साथ उनसे सहयोग मांगोगे, तो वे तुरंत सहयोग देंगे। क्योंकि वे आतुर हैं हमारी मदद के लिए।
गुरुदेव ने अध्यात्म में एक विहंगम दृष्टि प्रदान की है। तथा प्रज्ञापूर्ण सदशिष्यों के लिए यह परम सौभाग्य की घड़ी है। क्योंकि ऐसा सौभाग्य 2500 वर्षों बाद ही आता है। वे कह रहे हैं आत्मा को जानो, परमात्मा को जानो और उसके प्रेम में जीते हुए परम जीवन की यात्रा पर बढ़ो। तथा 24 घण्टे में 10-15 मिनट देवताओं से कनेक्ट हो जाओ। उनसे मित्रता करो। अपने संसार को सुंदर बनाने के लिए उनसे सहयोग प्राप्त करो।
अब भी अगर हम कहें कि वे ओशो से अलग हट कर कार्य कर रहे हैं। तो ये हमारी मूढ़ता ही होगी !!!
अब ये हमारी स्वतंत्रता है कि हम उनका विरोध कर इस परम सौभाग्य से वंचित हो जाएं। या उनके श्री-चरण-कमलों में समर्पित होकर इस महारास में सम्मिलित हो जाएं। जो मानवता के इतिहास में प्रथम बार हो रहा है।
गुरूदेव हमें समाधि, सुमिरन और प्रज्ञा कार्यक्रमों के माध्यम से अध्यात्म की उन ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, जहां कुछ बिरले संत ही पहुंचें हैं!!!
गुरुदेव ने ओशोधारा में अध्यात्म के सर्वश्रेष्ठ मार्ग 'सहज-योग' को प्रतिपादित किया है, जिसके 3 आयाम हैं - ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग। ज्ञान योग का अर्थ है स्वयं को आत्मा जानना और आनंद में जीना। भक्ति योग का अर्थ है परमात्मा को जानना और उसके प्रेम में जीना। कर्म योग का अर्थ है आत्मा और परमात्मा से जुड़कर संसार का नित्य मंगल करना।
प्रभु के सच्चे और निष्ठावान साधकों! का ओशोधारा में स्वागत है कि वे ध्यान-समाधि से चरैवेति तक के कार्यक्रम का संकल्प लेकर गुरुदेव के साथ अपने परमजीवन की परमपावन यात्रा का शुभारंभ करें।
गुरूदेव ने एक रहस्य की बात बताई है :- बैकुंठ में आत्मानन्द है पर ब्रह्मानन्द नहीं है, क्योंकि वहां भक्ति नहीं है।
भक्ति सिर्फ मनुष्य शरीर से ही सम्भव है।
सुमिरन सिर्फ सांसों के साथ ही किया जा सकता है।
सन्त सुमिरन का आनन्द लेने के लिए, सांस-सांस आत्मानन्द + ब्रह्मानन्द (सदानन्द) का आनन्द लेने के लिए ही पृथ्वी पर बार-बार आते हैं।
जरा मृत्यु रोगं क्लेश कष्टम हरेण्यं।
शिवः गुरु र्न भेदो एक स्वरूपं,
तस्मै नमः गुरु पूर्ण शिवत्व रूपं।।
नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां
नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां
Shiva is First Master of All Religion &Sects (शिव-आदिगुरु)
https://youtu.be/lWcNZkhj7eg
💐 ॐ शिवाय नमः 💐
~ जागरण सिद्धार्थ
GR8...ABSOLUTELY RIGHT.. GEETA DARSHAN BY OSHO..IN CH.2, PAGE NO.143,44,45 OSHO HAS TALKED ABOUT IT..HE HAS ALSO SAID THAT HE WILL TALK ABOUT IT IN FUTURE SOME TIME..
ReplyDeleteशिवस्वरूप गुरुदेव को शत-शत नमन।
ReplyDeleteIt is wonderful and a matter of great happiness to me that Sadguru Osho @SiddharthAulia has refined your wisdom to such an extent! God bless you! You write precisely and coherently.
ReplyDeleteIt's wonderful and a matter of great happiness to all seekers that Sadguru''s refined your wisdom to such an extent as your elucidation is precise, persuasive and par excellence!
ReplyDeleteIt's wonderful and a matter of great happiness to all seekers that Sadguru's refined your wisdom to such an extent as your elucidation is precise, persuasive and par excellence!
ReplyDeleteVery well written. Your write-ups are very lucid and precise. You are doing a great and good job. Revered Sadguru's blessings are with you.
ReplyDeleteI bow at the pious feet of my master.
Who are you? Your English is marvellous! What if we together translate Sadguru's biography into English?
DeleteWho are you? Your English is marvellous! What if we together translate Sadguru's biography into English? My phone numbers are 9991824899, 74190 24899
Delete⚘ JAI SADGURUDEV ⚘
ReplyDelete⚘ JAI OSHODHARA ⚘
🙏
ॐ परमतत्वाय नारायणाय
ReplyDeleteगुरुभ्यो नमः
प्यारे सदगुरु के चरणों मे नमन
प्यारे परमगुरु के चरणों मे नमन
प्यारे भगवान शिव के चरणों मे नमन
ओशो धारा रहस्यमय विद्यालय है..अनेक खो गई प्राचीन विद्याओं को पुर्जीवित किया जा रहा है, चलिए, इनका हम सब पूरा लाभ उठाते हैं.... जय सदगुरु
ReplyDeleteNaman Ahobhav...
ReplyDeleteसदगुरु जी के चरणों मे कोटि कोटि नमन
बहुत सुंदर तरीके से ओशो जागरण जी ने गुरुदेव की महिमा का गुणगान किया है जागरण जी का धन्यवाद ।
ReplyDeleteगुरुदेव के चरण कमलों में
शाष्टांग नमन 🌷🌷🌷🌷🌷
ॐ सद्गुरु गोविन्दाय परमतत्वाय नारायणाय नमः
स्वामी जी आपके लिखने का अंदाज अद्वितीय है बार-बार आप किसी देवी शक्ति या संत का संस्मरण लिखकर जब हम को भेजते हैं तो हम और और अहो भाव आभा से सद्गुरु जी के प्रति भर जाते हैं आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अभाव
ReplyDeleteओम् सद्गुरु नमः
ReplyDeleteजै गुरुदेव
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