समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी ~ परिचय
जीवित सदगुरु की सदा जरूरत है, जल्द ही मैं यहां नहीं रह जाऊंगा। और याद रखना, विशेष रूप से मैँ अपने शिष्यों को याद दिलाना चाहता हूँ; यदि...
जीवित सदगुरु की सदा जरूरत है, जल्द ही मैं यहां नहीं रह जाऊंगा। और याद रखना, विशेष रूप से मैँ अपने शिष्यों को याद दिलाना चाहता हूँ; यदि...
मेरे प्रिय आत्मन, आप सबको मेरा नमस्कार। उमर खय्याम की एक प्यारी रुबाई अभी याद आयी, उसी से अपनी बात शुरू करना चाहूंगा :- आत...
ओशो आश्रम पुणे भारत की अनमोल धरोहर ओशो भारत के कोहिनूर हैं उनकी वसीयत और विरासत भारत की धरोहर है जिसे कुछ पश्चिमी लुटेरे लूटना चाहते हैं ! न...
" सदगुरु मिलै तो पाइए, भक्ति मुक्ति भंडार। दादू सहजै देखिए साहिब का दीदार।' "सदगुरु मिलै तो पाइए'-कोई और उपाय नही...
जीवित सद्गुरु के बिना कोई विधि कार्य नहीं करती, चाहे वह कितनी ही अच्छी क्यों न हो! हकीकत में असली बात तो सद्गुरु है। उसकी जीवंत उपस्थित...
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म...
कृष्ण के संग रास तो था पर महारास नहीं था! कृष्ण के साथ प्रेमी तो थे, पर शिष्य नही थे, महारास तो गुरु और शिष्य के बीच ही घटता है, जिसमें ग...
सभी प्रभु के प्रेमियों के आध्यात्मिक बसन्त का दिवस है! 5 मार्च "ओशोधारा दिवस"। जन्मों-जन्मों में कोई बुद्ध होता है और सदियों-स...
सदगुरु तुम्हें कंप्यूटर बना देने में उत्सुक नहीं है। उसकी उत्सुकता है कि तुम स्वयं प्रकाश बनो, तुम्हारा अस्तित्व प्रामाणिक बने, एक अम...
धन्य है यह अध्यात्म की उर्वर भूमि भारत, जो निरंतर सद्गुरुओं को पैदा किये जा रही है। इसी क्रम में सनातनधर्म को पुनः प्रतिष्ठित करने के लिए इस पावन धरा पर अवतरित हुए परमगुरु ओशो के सदशिष्य गुरुदेव सिद्धार्थ औलिया जी जिन्होंने अपने गुरु ओशो के स्वप्न को ओशोधारा रूपी रहस्य विद्यालय में प्रयोगात्मक रूप से प्रकट कर दिया है। उनके ही गुरु प्रेम से ओतप्रोत विराट जीवन की संक्षिप्त झांकी को इस blog के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया जा रहा है ऐसा समझें कि सागर को गागर में भरने का प्रयास! सभी प्रभु प्यासों को गुरुदेव के साथ प्रभु की इस महिमामयी यात्रा का आमंत्रण है। गुरुदेव की अपार करुणा से अब सभी के लिए प्रभु के द्वार खुल गए हैं। अब हम इस आपाधापी भरे जीवन में भी गुरुदेव के मार्गदर्शन में प्रभु को जान कर उसके प्रेम में जी सकते हैं। और इस संसार में कमलवत रहकर अपने सारे दायित्वों को निभाते हुए, जीने का मज़ा ले सकते हैं।आइए हम सभी भारत को, सनातनधर्म को पुनः उसकी उत्तुंग आध्यात्मिक ऊंचाइयों में प्रतिष्ठित करें। 🕉️🙏जय गुरुदेव🙏🕉️ जागरण सिद्धार्थ
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