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    समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी ~ परिचय


     जीवित सदगुरु की सदा जरूरत है, जल्द ही मैं यहां नहीं रह जाऊंगा। और याद रखना, विशेष रूप से मैँ अपने शिष्यों को याद दिलाना चाहता हूँ; यदि तुम हकीकत में ही मुझे प्रेम करते हो; जब मै नहीं रहूँ; मै चाहूँगा की तुम किसी ऐसे व्यक्ति को खोज लो, जो अभी भी जीवित है। और यह मत कहना, क्योंकी तुम मुझसे संबधित हो, क्योंकि तुम मेरे शिष्य हो, इसलिए तुम किसी और वास्तविक सद्गुरु से सम्बंधित नहीं हो सकते है। उन आँखों में झांको तो जरा और एक बार फिर तुम वहां मेरे ही आँखे पाओगे। शरीर तो वही नहीं होगा लेकिन आँखें वही होंगी।

    यदि मेरे यहां रहते हुए तुम्हारा यात्रा पूरी नहीं होती; यदि अभी भी कुछ बाक़ी रह गया है, तब घबराओ मत। तुम मुझे छोड़कर मेरे साथ विश्वासघात नहीं कर रहे हो। बल्कि हकीकत तो यह है की तुम मुझे न छोड़ कर और किसी वास्तविक जीवित सद्गुरु के पास न जाकर; तुम मेरे साथ विश्वासघात कर रहे हो। साहसी बनो, हिम्मतवर बनो और हमेशा जीवन में विश्वास रखो।

    तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम अथवा मेरा प्रति तुम्हारा प्रेम कभी भी बाधा नहीं बनना चाहिए। प्रेम स्वतंत्रता देता है। प्रेम तुम्हे मुक्त करता है। जबतक सदगुरु जीवित है, तबतक उसका पूरा स्वाद लो। केवल मूढ़ ही मृत्यु को पूजते है; बुद्धिमान हमेशा ही जीवन की पूजा करते है।

                                                   ~ परमगुरु ओशो



    सद्गुरू "सिद्धार्थ औलिया" जी का जन्म 23 सितंबर 1942, भाद्र पूर्णिमा को रोहतास जिला, बिहार के कर्मा गांव में हुआ था।
    गुरुदेव ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय में 1955 से 1961 तक माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। ततपश्चात भारतीय खनि विद्यापीठ (धनबाद) से भू विज्ञान में M.S.C. , A.I.S.M. (1996) की शिक्षा प्राप्त की, 1975 में P.H.D. की डिग्री प्राप्त की और 8 वर्षों तक वहीं अध्यापन कार्य किया। मैनचेस्टर बिज़नेस स्कूल से प्रबंधन में सीनियर एक्जीक्यूटिव कोर्स किया। ब्रिटिश माइनिंग कंसल्टेंट्स से उच्च प्रबंधन का प्रशिक्षण लिया।

    गुरुदेव के अब तक 36 शोध लेख तथा 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ' कोयले की गवेषणा ' पुस्तक पर ' इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार ' से उन्हें सम्मानित किया गया।

    गुरुदेव अनेक रहस्यदर्शियों व सूफी संतों के पास अध्यात्म की खोज में गए। जिनमे प्रमुख हैं :- ® सूफी बाबा सिगबतुल्ला कलंदर तबरेज़ी ® जानकी बाबा ® बाबा भूतनाथ ® बाबा भजन ब्रह्मचारी ® स्वामी आनंद देव (टाट बाबा) ® परमहंस स्वामी सत्यानन्द सरस्वती ® देवराहा बाबा ® औघड़ भगवान राम ® त्रिलोकी बाबा ® तपस्विनी मीरापुरी।

    13 मई 1980 को पूना में परमगुरु ओशो के नवसन्यास में दीक्षित हुए।
    दूसरी बार दिसम्बर 1980 में परम गुरु ओशो के पावन चरणों में फिर उपस्थित हुए। ऊर्जा दर्शन के लिए गए, ओशो को निकट से देखकर भाव विभोर हो गए। चरणस्पर्श की मनाही के बावजूद। परम गुरु ओशो के पावन चरणों को स्पर्श किया और डरते हुए चुम्बन लिया, कि अब तो डांट पड़ेगी ही!

    लेकिन गुरुदेव के आश्चर्य!! का ठिकाना तब नही रहा जब उन्होंने देखा कि डांटने की बजाय ओशो उन्हें देखकर मुस्करा रहे थे। और थोड़ी देर तक देखते रहे। फिर उन्होंने एक बड़ी अद्भुत बात कही। वे बोले - " मेरे सन्यासियों का ख्याल रखना । "
    उस समय तो गुरुदेव को समझ नही आया कि प्यारे ओशो का इशारा किस तरफ था। पर धीरे-धीरे सारे राज प्रकट होने लगे।

    11 Dec 1988 को गुरुदेव को कुंडलिनी जागरण (सतोरी) की घटना का अनुभव हुआ।
     गुरुदेव ने 1989 में भारतीय योग एवं प्रबंधन की स्थापना की तथा 1992 में कौशल चक्र की खोज की, जिसमें आपके मार्गदर्शन में व्यक्तिगत व सामूहिक बहुत सफलताएं अर्जित की गईं।

    13 जनवरी 1997 को गुरु नानक देव जी की दिव्य उपस्थिति के द्वारा उन्हें ओंकार दीक्षा प्राप्त हुई। और 5 मार्च 1997 को गुरुदेव संबोधि को उपलब्ध हुए ।

     परम गुरु ओशो के आशीर्वाद तले गुरुदेव ने ओशोधारा में आत्म जागरण और प्रज्ञा के 28-21 तलों के सुंदर कार्यक्रमों की रचना की है। जो उनके बहुआयामी विराट व्यक्तित्व को दर्शाती है। जिन कार्यक्रमों में भाग लेकर सदशिष्य प्रज्ञापूर्ण होते हुए परमात्मा के आकाश में उड़ान भर रहे हैं।

    जहां ध्यान की शांति, सुमिरन का आनंद और समाधि का परम विश्राम है। वहीं संसार में प्रज्ञापूर्ण जीने की कला भी है।
    भारत के प्रसिद्ध सूफी संत सूफी बाबा शाह कलंदर जी ने अपने महापरिनिर्वाण के पहले 6 जनवरी 2013 को गुरुदेव को "औलिया" पद से नवाजा। अर्थात अब सूफ़ियों के कार्य को इन्हें ही आगे बढाना है।
     "औलिया" का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मनिष्ठ (Grounded in Godliness) संत है। एक औलिया के लिए परमात्मा निर्गुण है, निराकार है, लेकिन वह परमात्मा के चाकर (देवताओं), और अपने मिस्टिक ग्रुप के संपर्क में भी रहता है, और वक्त आने पर संसार के मंगल के लिए उनसे सहयोग भी प्राप्त करता है।

    गुरुदेव के द्वारा अब तक लगभग 55 पुस्तकें। संतमत (संतवाणी पर आध्यात्मिक प्रवचन) 1-10 भाग।
    मुर्शिद वाणी 1-9 भाग, जिनमें लगभग 1008 रूहानी गज़लें प्रकाशित हैं। सहजयोग  (सत्संग प्रवचनों पर आधारित) पर 7 ग्रंथ। काव्य रचना 16 पुस्तकें। अन्य 12 कृतियां ।
    और ओशोधारा में हुए गुरुद्रोह की साज़िश के दौरान अद्भुत 1200 पदों की "सिद्धार्थ गीता " का जन्म हुआ, और यह सतत जारी है...।

    गुरुदेव ने ओशोधारा में अध्यात्म के सर्वश्रेष्ठ मार्ग 'सहज-योग' को प्रतिपादित किया है, जिसके 3 आयाम हैं - ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग। ज्ञान योग का अर्थ है स्वयं को आत्मा जानना और आनंद में जीना। भक्ति योग का अर्थ है परमात्मा को जानना और उसके प्रेम में जीना। कर्म योग का अर्थ है आत्मा और परमात्मा से जुड़कर संसार का नित्य मंगल करना।

    ओशोधारा में सभी सदशिष्यों का स्वागत है ध्यान-समाधि से चरैवेति तक का संकल्प लेकर परम पुनीत प्रभु की यात्रा में गुरुदेव के साथ प्रवेश करें।

    वर्तमान में गुरुदेव ओशो नानक धाम मुरथल, ओशोधारा सहजानंद धाम कर्मा एवं ओशोधारा आनंद धाम माधोपुर के संरक्षक हैं।
    सदशिष्यों के लिए गुरुदेव का प्रेमपूर्ण आवाहन है :-

    - हर युग में नाविक आते हैं, कुछ नूतन घाट बनाते हैं। तैयार खड़े जो चलने को, वे उन्हें पार ले जाते हैं।। खुल रही एक है नाव अभी, मत कहना मिला न दांव कभी।  अथ सद्गुरु शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।।
     गुरूदेव ने एक रहस्य की बात बताई है :- बैकुंठ में आत्मानन्द है पर ब्रह्मानन्द नहीं है, क्योंकि वहां भक्ति नहीं है।
    भक्ति सिर्फ मनुष्य शरीर से ही सम्भव है।
    सुमिरन सिर्फ सांसों के साथ ही किया जा सकता है।
    सन्त सुमिरन का आनन्द लेने के लिए, सांस-सांस आत्मानन्द + ब्रह्मानन्द  (सदानन्द) का आनन्द लेने के लिए ही पृथ्वी पर बार-बार आते हैं।

    हृदय में गुरूदेव और हनुमत स्वरूप सिद्धि के साथ गोविंद का सुमिरन!
    गुरूदेव ने आध्यात्मिक जगत में महाक्रान्ति ला दी है; ओशोधारा के साधकों के जीवन के केंद्र में गुरु हैं, सत-चित-आनन्द के आकाश में उड़ान है और सत्यम-शिवम-सुंदरम से सुशोभित महिमापूर्ण जीवन है!!

    गुरुदेव द्वारा प्रदत्त सुमिरन+हनुमत स्वरूप सिद्धि अति उच्चकोटि की साधना है।
    हनुमान स्वयं इसी साधना में रहते हैं, वे सदैव भगवान श्रीराम के स्वरूप के साथ कण-कण में व्याप्त निराकार राम का सुमिरन करते हैं।

    गुरुदेव ने अब सभी निष्ठावान साधकों को यह दुर्लभ साधना प्रदान कर आध्यात्मिक जगत में स्वर्णिम युग की शुरूआत कर दी है।

    सदा स्मरण रखें:-
    गुरु को अंग-षंग जानते हुए सुमिरन में जीना और गुरु के स्वप्न को विस्तार देना यही शिष्यत्व है।
    गुरु+गोविंद+शिष्य यह सिनर्जी ही सारे अध्यात्म का सार है!!
    और यह सतत चलता रहेगा, चरैवेति.. चरैवेति...।
     गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । 
     गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
        
            

                   नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां
                   नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां

                                              ~ जागरण सिद्धार्थ

                 
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    14 comments:

    1. जीवित गुरु के साथ जुड़ना जीवन का परम सौभाग्य है।
      ।। जय गुरुदेव ।।

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    2. I down my head towards my master..

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    3. कामिल मुर्शिद के चरणों में शरण बड़े सौभाग्य से मिलती है गोविन्द की कृपा से हमें बड़े बाबा का सानिध्य मिला है। नमन गुरुदेव ।

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    4. ⚘ जय सद्गुरु देव ⚘
      ⚘ जय ओशोधारा ⚘
      🙏

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      1. Wah Pyarey Sadguru Ji Ke Charnoan Mein Ahobhav

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    5. Satguru ke paavan saannidhy me hamara Jeevan beeta beet Raha ,beetega.jeevan ki arthvatta ISI me hai.kahte hain parmatma ki kripa se Jeevan me sadguru ka sannidhy milta hai (Binu hari kripa milahi nahi santa.)aur satguru ki kripa se Jeevan me parmatma ka avirbhav ho Jaya hai.is sambandh me paramguru Osho kahte hain ,tum parmatma ki fikir chodo vo Mila na mila,tum un ankhon ko jinhone parmatma ka anubhaA Kiya,tum un Charno Ko Khoj lo parmatma ke mandir me pravist hue.sat sat Naman.

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    6. ओशो सिद्धार्थ औलिया का पुराना मित्र हूं।
      पंकज प्रसून
      मोबाइल नंबर 9811804096

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    7. मैं ओशो सिद्धार्थ औलिया जी का मोबाइल नंबर जानना चाहता हूं ताकि समय के अंतराल को पाट सकूं
      मेरा ई-मेल पता है ciprabooks@gmail.com

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    8. 'मेरी सुबह तेरी याद से,
      मेरी शाम तेरी नमाज से
      मेरी जिंदगी के शहंशाह
      तेरा शुक्रिया,तेरा शुक्रिया।'
      ~ सदगुरू🌹

      हमारी जिंदगियों और महाजीवन के शहंशाह हमारे प्यारे सद्गुरु के प्रति असीम अहोभाव। 💐🙏

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    9. Hamko bi sadsisya ki yatrame sadguruki kripa brasrahi hai Mitra hi sadguru Sharan gachchhamee💐

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    10. 🙏🌺जय गुरूदेव🌺🙏

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    11. Satayushmanbhava Osho Sri Siddharth Aulia

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