गुरु की महिमा गाओ रे मना...
धीरजवंत अडिंग जितेंद्रिय निर्मल ज्ञान गहयौ दृढ़ आदू। शील संतोष क्षमा जिनके घट लगी रहयौ सु अनाहद नादू।। मेष न पक्ष निरंतर लक...
धीरजवंत अडिंग जितेंद्रिय निर्मल ज्ञान गहयौ दृढ़ आदू। शील संतोष क्षमा जिनके घट लगी रहयौ सु अनाहद नादू।। मेष न पक्ष निरंतर लक...
कृष्णमूर्ति को सस्ते में गुरु मिले, इसलिए गुरु की महत्ता कभी समझ में न आई। मुफ्त जो मिल जाए उसकी महत्ता समझ में नहीं आती। कृष्णमू...
मैं स्वामी सुखराज भारती अपनी समग्रता से स्वीकार करता हूँ कि मैं पूरा खोखला खड़ा था। बातों का जमा खर्च कर रहा था। आज मैं 30 वर्ष पुराना स...
गुरु होने के लिए दो बातें जरूरी हैं। शिष्य जब तुम थे तब प्रेम से सुना हो और समझ और साक्षी से भी। इधर हृदयपूर्वक सुना हो और उधर ...
गुरु पूर्वीय चेतना की खोज है। पश्चिम की भाषाओं में गुरु जैसा कोई शब्द भी नहीं; शिक्षक है, अध्यापक है, आचार्य है, पर गुरु जैसा को...
गुरु कहै सो कीजिए करै सो कीजै नाहिं। चरनदास की सीख यह रख ले उर मांहि।। बड़ा अनूठा वचन है और एकदम से समझ में न पड़े ऐसा वचन है। स...
भगवान शिव त्रिदेवों में मुख्य देव हैं। ब्रह्मा-विष्णु-महेश (त्रिदेव) जगत का प्रशासन चलाते हैं। जन्म-मृत्य का खेल महाजीवन के अंतर्...
इक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ। निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि!! जप आद सचु जुगादि सच। है भी सचु नानक होसी भी सच।। सन...
सदगुरु तुम्हें कंप्यूटर बना देने में उत्सुक नहीं है। उसकी उत्सुकता है कि तुम स्वयं प्रकाश बनो, तुम्हारा अस्तित्व प्रामाणिक बने, एक अम...
धन्य है यह अध्यात्म की उर्वर भूमि भारत, जो निरंतर सद्गुरुओं को पैदा किये जा रही है। इसी क्रम में सनातनधर्म को पुनः प्रतिष्ठित करने के लिए इस पावन धरा पर अवतरित हुए परमगुरु ओशो के सदशिष्य गुरुदेव सिद्धार्थ औलिया जी जिन्होंने अपने गुरु ओशो के स्वप्न को ओशोधारा रूपी रहस्य विद्यालय में प्रयोगात्मक रूप से प्रकट कर दिया है। उनके ही गुरु प्रेम से ओतप्रोत विराट जीवन की संक्षिप्त झांकी को इस blog के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया जा रहा है ऐसा समझें कि सागर को गागर में भरने का प्रयास! सभी प्रभु प्यासों को गुरुदेव के साथ प्रभु की इस महिमामयी यात्रा का आमंत्रण है। गुरुदेव की अपार करुणा से अब सभी के लिए प्रभु के द्वार खुल गए हैं। अब हम इस आपाधापी भरे जीवन में भी गुरुदेव के मार्गदर्शन में प्रभु को जान कर उसके प्रेम में जी सकते हैं। और इस संसार में कमलवत रहकर अपने सारे दायित्वों को निभाते हुए, जीने का मज़ा ले सकते हैं।आइए हम सभी भारत को, सनातनधर्म को पुनः उसकी उत्तुंग आध्यात्मिक ऊंचाइयों में प्रतिष्ठित करें। 🕉️🙏जय गुरुदेव🙏🕉️ जागरण सिद्धार्थ
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