मेरी साधना यात्रा ~ आचार्य शिवम
नाम :- डॉ विजय कुमार शर्मा
सन्यास नाम :- आचार्य शिवम
व्यवसाय :- डॉक्टर ( Anesthesiologist )
जन्म :- जून 1971
जन्म स्थान :- पतराड़ा, राजौरी (जम्मू-कश्मीर)
निवास :- कैलाश विहार कॉलोनी, उदयवाला, जम्मू
ओशो प्रेम से मेरे जीवन में बसंत का आगमन :
ओशो प्रेम के 25 वर्ष में मेरे अनेक सुखद अनुभव रहे। उन सब का वर्णन इस लेख में संभव नहीं है। उनके प्रेम के ही कारण मेरे जीवन में सद्गुरु के " श्री-चरण " प्राप्त हुए, और आध्यात्मिक बसन्त का आगमन हुआ। इसका पूरा सार आप सभी प्रभु प्यासों से साझा कर मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है। और प्रभु से प्रार्थना है कि आप सभी प्रभु प्यासों के जीवन में सद्गुरु का आगमन हो। और आपकी यात्रा सत- चित-आंनद से सत्यम-शिवम-सुंदरम की ओर अग्रसर हो सके।
मेरी आध्यात्मिक यात्रा :-
बीते जीवन काल पर दृष्टि डालने से आभास होता है कि जैसे किन्हीं अदृश्य हाथों ने हर मोड़ पर मेरा मार्गदर्शन किया है। और जीवन में सीखने की प्रेरणा, उत्साह और हिम्मत दी है।
भौतिक जीवन की उपलब्धियों के बावजूद , ध्यान एवं सद्गुरु का अभाव सदा खलता रहा। जून 1995 MBBS final year में ओशो की पुस्तक "Turning in" ने आशा की नई किरण जगाई। ओशो के प्रेम में लगभग 100 पुस्तकें पढ़ने के बाद, मार्च 2000 में पूना कम्यून द्वारा संचालित त्रिदिवसीय ध्यान शिविर में भाग लिया। वहीं सद्गुरु "सिद्धार्थ औलिया" जी के बारे मे सुना, किन्तु कार्यक्रमों की सूचना के अभाव के कारण दो वर्ष तक उनसे मिलने में विलंब हुआ। 2000 से 2002 के बीच मैंने ओशो की ध्यान विधियों को करना प्रारंभ किया जिसने मेरी आध्यात्मिक यात्रा में खूब सहयोग किया।
मेरे जीवन का स्वर्णिम दिन :-
फिर आया मेरे जीवन का वह स्वर्णिम दिन जब 11 जून 2002 को ओशोधारा " ध्यान समाधि " शिविर, नड्डी, हिमाचल प्रदेश में पहली बार सद्गुरु जी के दर्शन हुए। और तत्क्षण समर्पण घटा।
इस शिविर की संचालन कुशलता, अष्टांगिक मार्ग एवं अष्टांगिक योग के सत्र, ध्यान विधियां, सद्गुरु-सत्संग, उत्सव और फिर आठवें दिन " नाद दीक्षा " ने मुझे आश्चर्य, रोमांच और आनन्द से भर दिया। मेरा नया जन्म हुआ।
सद्गुरु की कृपा से आत्मज्ञान :-
समाधि कार्यक्रमों में सद्गुरु जी के माध्यम से दिव्य अनुभूतियों का अनुभव और समाधि का आनंद प्राप्त होता रहा। यही धीरे-धीरे आत्मज्ञान का सोपान बना। मुझे समाधि-कार्यक्रमों का चुम्बकीय आकर्षण Next समाधि-कार्यक्रमों में शीघ्र जाने को सदा प्रेरित करता रहा।
आने वाले वर्षों में समाधि कार्यक्रमों ( 1 से 14 तल के समाधि कार्यक्रमों ) से गुजरते हुए मुझे सद्गुरु की कृपा से
"आत्मज्ञान " घटित हुआ।
सदानन्द है संतत्व में प्रतिष्ठा :-
आगे 15 से 28 तल के सुमिरन कार्यक्रम करते हुए दिसंबर 2015 में मैंने 28 वें तल के "चरैवेति" प्रोग्राम में भाग लिया। यह परमात्मा के प्रेम में जीने की साधना है। सद्गुरु द्वारा रचित सरल सुमिरन विधि से सांस-सांस आत्मा और परमात्मा के प्रेम में रहने से मेरा जीवन अब उत्तेजना-रहित, प्रेममय और आनंदित होने लगा है।
संतत्व गहराने पर अब जीवन लीला लगता है। जीवन की प्रतिकूलताएँ कम से कम विचलित करती हैं। अब स्वधर्म के बोध के साथ जीवन निष्काम कर्मयोग से संचालित होने लगा है। प्रज्ञा, साक्षी, सुमरिन से जीवन में आनंद एवं तृप्ति है। सुमरिन छूटने पर विरह और विषाद होता है कि जीवन का यह समय व्यर्थ चला गया। गुरु-धारणा, नाद स्मरण से फिर आत्मबोध साध लेता हूँ। शिष्य की चैतन्यता का तल तो सदगुरु ही जानते हैं। परंतु गुरु जी से जुड़ने के बाद का जीवन किस गति से रूपांतरित हुआ इसका मुझे स्पष्ट एहसास है। प्रार्थना है गोविंद से कि जीवन सदा सद्गुरु को समर्पित रहे।
अब स्वास्थ्य, गुरुसेवा और सदानंद मेरी जीवनशैली है।
सद्गुरु के साथ मेरा महोत्सव :-
जीवन का सबसे ज्यादा सुंदर समय वह रहा जो गुरू चरणों में बीता। उनकी उपस्थिति मात्र से विचार मुक्ति, आनंद और चैतन्यता की अवस्था सहज घटित हो जाती है। उनकी प्रेममय दृष्टि तले, आत्म श्रद्धा के साथ हमें विकसित होने की प्रेरणा मिलती है। वार्तालाप के समय उनकी वाणी में सम्मान और मिठास के तादात्म्य के साथ गुरुगरिमा का स्पष्ट संदेश मिलता है। सद्गुरु में मनुष्य की सम्पूर्ण खिलावट के साथ अलौकिक प्रेम, करुणा और आनन्द झलकता है। और फिर बहुत कुछ है जो शब्दातीत है...।
सद्गुरु के साथ मैने अनेको यात्राओं, उत्सवों और सत्संगों का आनंद लिया है। दुनिया भर से आए साधकों से मेरा मिलना हुआ है।
ओशोधारा के दैविक-दरबार एवं संघ की कार्य सेवा ने मेरे आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ओशोधारा के समाधि कार्यक्रम :
ओशोधारा के 6 दिवसीय कार्यक्रमों के पहले दिन से ही सारी सांसारिक धूल, मानसिक थकान, उत्तेजना के विदा होते ही परम स्वास्थ्य और अखण्डता का अनुभव होता है। तथा साधना डायरी के माध्यम से गुरू जी से अपने अनुभव और समस्या साझा करना और समाधान मिलना बहुत ही सौभाग्य के पल रहते हैं। सद्गुरू शब्दों के आइंस्टीन हैं। हर आध्यात्मिक अनुभव को स्पष्ट शब्द दे कर अपनी बात शिष्यों तक पहुंचाते हैं। उनके दिए शब्दकोश द्वारा अपने अनुभव का बार-बार अभ्यास सुगम हो जाता है।
प्रज्ञा कार्यक्रमों से संसार सुंदर होता है :-
प्रज्ञा कार्यक्रमों के माध्यम से भौतिक जीवन संवारने के अमूल्य सूत्र मुझे केवल एक ही मंच ओशोधारा से मिले। इनको जीवन में उतारने के अभ्यास से आध्यात्मिक और भौतिक जीवन मेरे लिए एक-दूसरे के पूरक हो गए।
प्रज्ञा प्रोग्रामों में कम समय में प्रयोग के साथ विषय का पूरा विज्ञान देना ओशोधारा की विशेषता है। जो भविष्य में अद्वितीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने वाला है। बहुत से मित्र विशेषकर युवक प्रज्ञा प्रोग्राम के माध्यम से सद्गुरु के प्रेम में पड़ कर आध्यात्मिक जीवन का भी आनंद ले रहे हैं। और "जोरबा दि बुद्धा" का उदाहरण बन रहे हैं। उनके परिवार के सभी सदस्यों का ओशोधारा का संयासी होने से घर में भी प्रेम, भक्ती, उत्सव, सत्संग और साधना का वातावरण स्वतः ही बन रहा है।
ओशोधारा के समाधि और प्रज्ञा कार्यक्रम चमत्कार हैं :-
सद्गुरु के मार्गदर्शन में संकल्प और पूर्ण निष्ठा से साधना करते हुए हमारे जीवन में नीर-क्षीर विवेक का जन्म होता है। और हमारा जीवन में प्रभु प्रेम की परमधन्यता घटित हो जाती है ; मोक्ष, सदा साक्षी, सुमिरन, एवं निष्काम कर्मयोग घटित होता है। हमारा जीवन उत्सवमय हो जाता है।
संघ के छंद में जीने की महत्ता :
गुरू की उपस्थिति में संघ निर्मित होता है। जिसके माध्यम से सदधर्म का कार्य होता है। सद्शिष्य अपने सदगुरू के मिशन का अभिन्न अंग हो जाए तो समझो जीवन सार्थक हुआ। सर्वोत्तम सेवा जीवित सद्गुरु के मार्गदर्शन में निःस्वार्थ सेवा करना है। इससे ही शिष्य की पूर्णरूपेण खिलावट सम्भव है। प्रज्ञावान शिष्य अपने विकास के लिए गुरु चाही समझने में सक्षम होता है। संघ के सहयात्रियों के सहयोग से साधना मजेदार होती है। आत्मनिरीक्षण के अवसर उपलब्ध होते हैं। संघ के छंद पर जीना आ जाये तो संसार साधने की कला भी आ जाती है। सौभाग्य से मैंने ओशोधारा संघ का भरपूर मजा लिया है, ले रहा हूँ। अब मैं संत कबीर के दोहे को समझ पाता हूँ।
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोए
जो सुख साधु संग में , सो बैकुंठ न होय।
गुरुसेवा मेरे जीवन का परम सौभाग्य :
पिछले 15 वर्षों से जम्मू कश्मीर का ओशोधारा राज्य संयोजक होने के कारण टीम बना कर संघ का कार्य करने का अवसर मिला। इस से बहुत कुछ सीखने को मिला। और सद्गुरु तथा सन्यासी मित्रों से निकटता और घनिष्ठता बनी रही।
इस काल के कुछ उल्लेखनीय अयोजन :
1. सद्गुरु जी के 10 से अधिक कार्यक्रमों (सत्संग, यात्राएं ) का आयोजन।
2. ओशोधारा साधना केन्द्र राजौरी एवं जम्मू में हर साल लगभग 10 बड़े कार्यक्रमों ( ध्यान समाधि, सुरति समाधि और प्रज्ञा कार्यक्रमों) का अयोजन।
3. हर ज़िले में सत्संग, एकदिवसीय शिविरों, झांकियों, पुस्तक प्रदर्शनियों का आयोजन।
4. ओशोधारा साधना केन्द्र राजौरी का निर्माण।
5. साधना केन्द्र जम्मू /राजौरी में नियमित बड़ी संख्या में साधकों की उपस्थिति के साथ उत्सव एवं रविवारीय सत्संगों का संचालन ।
6. ओशोधारा नानक धाम मुरथल, ओशोधारा आरोग्य धाम माधोपुर में ओशोधारा महोत्सवों पर सद्गुरु की दिव्य उपस्थिति पर कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रोग्रामों की प्रस्तुति।
इस संघ कार्य में सहयोग के लिए मैं प्रत्येक सन्यासी मित्र के प्रति हृदय से अनुग्रहीत हूँ और बधाई देता हूँ। सद्गुरु जी से यह सेवा मिलनी हमारा परम सौभाग्य है। सद्गुरु सेवा करने से प्रत्येक साधक विकसित हुआ है और सतत हो रहा है। हमारे ओशोधारा जम्मू संघ के सभी सदस्य आपस में प्रेम, एकलयता और उत्साह के साथ गुरुसेवा के परम पावन कार्य में दिन-रात लगे हुए हैं।
गुरुसत्ता, गोविंद और देवसत्ता को अहोभाव :-
अपनी आध्यात्मिक यात्रा के लिए मैं परमगुरु ओशो जी, गुरु नानकदेव जी, सूफी बाबा जी, सद्गुरु सिद्धार्थ औलिया जी, गोविंद, समस्त देवी-देवताओं और परिवार के सभी सदस्यों के प्रति अहोभाव से भरा हूँ। और अब मेरे जीवन का आशियाना सद्गुरु के श्री-चरण ही हैं ।
गुरु जैसा नाही कोई देव, जिस मस्तक भाग सो लागा सेव।
नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम
नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम
( डॉ. विजय कुमार शर्मा )
9419170688
oshoshivam@yahoo.co.in
जम्मू (जम्मू-कश्मीर)
16 जून 2021
संत आचार्य शिवम जी के साथ मैं बहुत से समाधि और प्रज्ञा कार्यक्रमों में सहभागी रहा हूँ।
ReplyDeleteमैंने सदा इनको एक धीर और गम्भीर साधक के रूप में देखा है।
इनका पूरा परिवार ओशोधारा के रंग से रंगा हुआ है। और गुरुसेवा तो इनकी अपूर्व है। ये अपने संघ के सहयात्रियों के साथ गुरुसेवा के पावन कार्य में सतत लगे रहते हैं।
अद्भुत है इनका ओशोधारा जम्मू संघ जो हर तरह की राजनीति से दूर गुरु प्रेम के धागे से बंधा हुआ, गुरुसेवा के परम पावन कार्य में सतत रत है।
ऐसे गुरु प्रेम से आपूरित गोविंद के प्यारे, संत शिवम जी को मेरा प्रेमनमन।
🕉️🙏जय गुरुदेव🙏🕉️
आचार्य शिवम जी के संतत्व की यात्रा का वृतांत पढ़कर बड़ा आनंद आया।
ReplyDeleteयह बात सत्य है कि आचार्य शिवम जी का पूरा परिवार गुरुभक्ति के रंग में खूब खूब रंगा हुआ है ।
जब भी इन्हें गुरु सेवा का कोई अवसर मिलता है तो उसे बहुत ही भावपूर्वक और अपने जम्मू-कश्मीर संघ के साथ मिलजुल कर बहुत सुंदर ढंग से ये उसे पूरा करते हैं ।
गुरुसेवा की तत्परता का उदाहरण मैंने पिछले बार तब देखा जब सद्गुरु पटनीटॉप की यात्रा में थे ।
उस यात्रा का आयोजन जम्मू-कश्मीर संघ ने किया था।
पूरी यात्रा के दौरान आचार्य शिवम जी और उनके पूरे परिवार की सेवा वृत्ति को देखकर मेरा मन गदगद हो गया था ।
ऐसे ही गुरुभक्तों से संसार की शोभा है।
मेरी शुभकामना है कि सद्गुरु की खूब खूब कृपा इनके परिवार पर सदा बरसती रहे ।
– आचार्य दर्शन
प्यारे आचार्य शिवम जी का "मेरी संतत्व की यात्रा" पढधकर आनंद आया। बहुत कुछ याद आया।
ReplyDeleteशिवम जी को जब से वह अमृत समाधि किए तब से जानता हूं। शुरू से ही उनकी तत्परता उनकी लगन,सहभागिता;ओशो धारा में अपने को सपरिवार छोड़ देना कोई सीखे तो उनसे सीखे ।जब भी मैंने उनको देखा साधना में ओशो धारा के कार्यक्रम में पति पत्नी दोनों को देखा। दोनों साथ साथ अभी भी चरैवेति कार्यक्रम पुन:पुन:कर रहे हैं।आपकी शांति,मौन और ओशोधारा को कैसे आगे बढ़ाया जाए यह सक्रियता शुरू से ही दिखी।पत्नी तो छाया के तरह सदा जीवनसंगिनी दिखाई देती रही। उनकी गुरुभक्ति,आध्यात्मिक हैसियत भी प्रेरणादायक है। आप ओशोधारा के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भी सपरिवार भाग लेती रहीं। आप दोनों देखने में भी सुंदर हैं । पूरा परिवार बहुत सुंदर है। यह बिड़ले देखने को मिलता है।
बहुत से जीवन मूल्य मूल्यों के बारे में उन्होंने जिक्र नहीं किया। इन मूल्यों को वे सपरिवार जी रहे हैं।भारत में हम परिवार से धनी हैं।हम साथ साथ जीते;पूरा जीवन सब उम्र के लोग साथ-साथ जीते हैं। शिवम जी के कारण इनके खूब पढ़े लिखे परिवार में माता पिता,बड़े भाई,भौजी,छोटे भाई सपरिवार और छोटे बच्चे ने भी बहुत सारे कार्यक्रम किए। यदि आप इनके पिताजी से मिलें उनके बड़े भाई डॉक्टर शैलेंद्रजी से मिलें;भाभी से मिलें तो लगता है कि आप शिवम जी से ही मिल रहे हैं। पूरे परिवार में प्रेम,प्रज्ञा और घुलने मिलने की कला अनमोल है । यही कारण है कि शुरू से ही शिवम जी जम्मू कश्मीर के कोऑर्डिनेटर और सतगुरु के आंखों के तारे रहे ।उन्होंने बहुत काम किया है ।यह इनके अद्भुत गुण,पूर्व जन्मों की कमाई और सद्गुरु के आशीष का फल है।और इनके प्रेम चैतन्य एवं प्रज्ञा से भरे जीवन जीने का परिणाम है।साधना तो व्यक्तिगत बात है ।विकास,प्रभु कृपा और गुरु कृपा से होता है। प्यारे शिवम जी आप तो संत हो गए। बधाइयां।गुरु कृपा तो शीतल हवा के तरह सदा मौजूद रहती है ।हम सबों के केंद्र में सद्गुरु का प्यार और ओशोधारा है ।बहुत अच्छा लगा पढ़कर ।
आपने बहुत अच्छा किया अपने साधना वृतांत को बहुत टेकनिकल नहीं बनाया;राज को राज ही रहने दिया। मुझे अच्छा लगा ।बहुत खूब। आपको प्रेम प्रणाम और धन्यवाद। प्यारे जागरण जी जो यह अभियान शुरू किये उनको भी प्रेम और बहुत-बहुत धन्यवाद ।
सद्गुरु की जय हो। भगवान-सद्गुरु के चरणो में कोटि-कोटि नमन । प्यारे के पावन चरणों में जीना बहुत ही सुखद,अच्छा लगता है। सबको प्रेम प्रणाम ।
शुभकामनाएं... आचार्य प्रशांत योगी,पटना,बिहार।
आचार्य शिवम बहुत ही नेक इंसान हैं गुरु और संघ के प्रति इनकी बहुत गहरी आस्था है। परम गुरु ओशो और सदगुरु इनपे हम पर सब पर अपनी कृपा बनाए रखना।
ReplyDelete❤🌹❤🙏🙏🌹🌹
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर अनुभव एवं अभिव्यक्ति । ओशो शिवम जी, बहुत बहुत मुबारक एवं शुभकामनाएं । सद्गुरु कृपा हम सब पर बनी रहे ।
ReplyDelete🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
शिवम जी को प्रणाम एवम बहुत बहुत बधाई, सदगुरु एवम ओशो धारा संघ के प्रति उनका एवम उनके पूरे परिवार का समर्पण अद्भुत है... मैं उनके पूरे परिवार को नमन करता हूं...
ReplyDeleteWooooooow feeling so blessed reading your spiritual journey 🙏,I was very curious to read it since morning, but got the time just now. Your commitment to Guru Sewa is very inspiring 🙏, we all Oshodhara devotees are the most fortunate devotees on this planet earth,Sadguru Siddharth Aulia ji is the Sampooran sadguru on this earth, all his magical programs of Samadhi Sumiran and pragya programs are so scientifically n systematically designed that all of us get benefitted by learning them so nicely. You are highly blessed that your whole family is attending Oshodhara programs, gratitude Sw Shivam ji for sharing your experiences of Oshodhara programs, gratitude to sadguru baawa Aulia ji for enlightening our path of spirituallity to such heights of Enlightenment, self realization, adwait, Kaivalya, Nirvana and Parampad. Hamare piare piare sadguru baawa Aulia ji ki treh kaun khuda deta hai, jiada se jiada dero hrmm deta hai, apne piare piare sadguru baawa Aulia ji, kaamil murshid ji ke balihaare, aap mukat hamen taare.jai sadguru dev ji, jai Osho dhara, jai oshodhara Sangh
ReplyDeleteThis above written msg is by dr Sunita Paul from jalandhar, gratitude 🙏baawa aulia ji 🙏❤, sw Shivam ji n sw jagran ji
ReplyDeleteWaah.. Congratulation Acharya Shuvam ji... Man Romanchit ho rha hai ki Osho ke 10000 Santo ko paida krne ka sapna Jald hi Osho dhara pura krne wali hai.... Jai Sadguru Aulia Sarkar.. Tumhi sb kuch ho hamre baba.
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